रविवार, 28 जून 2020

चाइना के खिलाफ जबरदस्त कविता By Ashutosh Rana

दोस्तों आज में  आपके सामने लेकर आया हु एक बहुत ही जबरदस्त कविता जिसमे आशुतोष राणा जी ने चाइना को बुरी तरह दुत्कारते हुए देश के लोगो से जागने का आव्हान किया है 
तो कविता आपके सामने है 
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूँ, सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ । सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में आज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो में, खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर, आज तुम्हे ललकार रही, सोये सिंह जगो भारत के, माता तुम्हे पुकार रही । रण की भेरी बज रही, उठो मोह निद्रा त्यागो, पहला शीष चढाने वाले, माँ के वीर पुत्र जागो। बलिदानों के वज्रदंड पर, देशभक्त की ध्वजा जगे, और रण के कंकण पहने है, वो राष्ट्रभक्त की भुजा जगे ।। अग्नि पंथ के पंथी जागो, शीष हथेली पर धरकर, जागो रक्त के भक्त लाडले, जागो सिर के सौदागर, खप्पर वाली काली जागे, जागे दुर्गा बर्बंडा, और रक्त बीज का रक्त चाटने, वाली जागे चामुंडा । नर मुंडो की माला वाला, जगे कपाली कैलाशी, रण की चंडी घर घर नाचे, मौत कहे प्यासी प्यासी, रावण का वध स्वयं करूँगा, कहने वाला राम जगे, और कौरव शेष न एक बचेगा, कहने वाला श्याम जगे ।। परशुराम का परशु जगे, रघुनन्दन का बाण जगे , यदुनंदन का चक्र जगे, अर्जुन का धनुष महान जगे, चोटी वाला चाणक्य जगे, पौरुष का पुरष महान जगे और सेल्यूकस को कसने वाला, चन्द्रगुप्त बलवान जगे । हठी हमीर जगे जिसने, झुकना कभी नहीं जाना, जगे पद्मिनी का जौहर, जागे केसरिया बाना, देशभक्ति का जीवित झण्डा, आजादी का दीवाना, और वह प्रताप का सिंह जगे, वो हल्दी घाटी का राणा ।। दक्खिन वाला जगे शिवाजी, खून शाहजी का ताजा, मरने की हठ ठाना करते, विकट मराठो के राजा, छत्रसाल बुंदेला जागे, पंजाबी कृपाण जगे, दो दिन जिया शेर के माफिक, वो टीपू सुल्तान जगे । कनवाहे का जगे मोर्चा, जगे झाँसी की रानी, अहमदशाह जगे लखनऊ का, जगे कुंवर सिंह बलिदानी, कलवाहे का जगे मोर्चा, पानीपत मैदान जगे, जगे भगत सिंह की फांसी, राजगुरु के प्राण जगे ।। जिसकी छोटी सी लकुटी से (बापू ), संगीने भी हार गयी, हिटलर को जीता वे फौजेे, सात समुन्दर पार गयी, मानवता का प्राण जगे, और भारत का अभिमान जगे, उस लकुटि और लंगोटी वाले, बापू का बलिदान जगे। आजादी की दुल्हन को जो, सबसे पहले चूम गया, स्वयं कफ़न की गाँठ बाँधकर, सातों भावर घूम गया, उस सुभाष की शान जगे, उस सुभाष की आन जगे, ये भारत देश महान जगे, ये भारत की संतान जगे ।। क्या कहते हो मेरे भारत से चीनी टकराएंगे ? अरे चीनी को तो हम पानी में घोल घोल पी जाएंगे, वह बर्बर था वह अशुद्ध था, हमने उनको शुद्ध किया, हमने उनको बुद्ध दिया था, उसने हमको युद्ध दिया । आज बँधा है कफ़न शीष पर, जिसको आना है आ जाओ, चाओ-माओ चीनी-मीनी, जिसमें दम हो टकराओ जिसके रण से बनता है, रण का केसरिया बाना, ओ कश्मीर हड़पने वाले, कान खोल सुनते जाना ।। रण के खेतो में जब छायेगा, अमर मृत्यु का सन्नाटा, लाशो की जब रोटी होंगी, और बारूदों का आटा, सन सन करते वीर चलेंगे, जो बामी से फन वाला, फिर चाहे रावलपिंडी वाले हो, या हो पेकिंग वाला । जो हमसे टकराएगा, वो चूर चूर हो जायेगा, इस मिटटी को छूने वाला, मिटटी में मिल जायेगा, मैं घर घर में इन्कलाब की, आग लगाने आया हूँ, हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूं ।।

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By Dayaram Gurjar Tighariya

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